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16 Oct 2022 · 1 min read

*फिर से करवाचौथ सुहानी मुस्कानें ले आई (गृहस्थ गीत)*

फिर से करवाचौथ सुहानी मुस्कानें ले आई (गृहस्थ गीत)
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फिर से करवाचौथ सुहानी मुस्कानें ले आई
(1)
युगों-युगों से अमर प्रेम की शपथ आज दोहराऍं
देखें चंदा कभी गगन में, कभी नयन टकराऍं
सात जन्म के पावन-बंधन की बेला हर्षाई
(2)
हाथ पकड़‌कर चलें सदा हम विमल प्रेम के राही
धवल स्वच्छ चमकीला चंदा देता यही गवाही
यह माद‌कता भरी चाँदनी लेती है अॅंगड़ाई
(3)
वर्षगॉंठ सबके विवाह की अलग-अलग कहलाती
किंतु चाँदनी शीतल नभ से सदा एक-सी आती
सुनो चाँदनी को तो पाओगे बजती शहनाई
फिर से करवाचौथ सुहानी मुस्कानें ले आई
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

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