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8 Oct 2022 · 2 min read

बड़े बड़ेरूआं ने सरकारी स्कूल बनाये

बड़े बड़ेरूआं ने सरकारी स्कूल बनाये (हरियाणवी)
****************************************

बड़े – बड़ेरूआं ने धरती दे के सरकारी स्कूल बनाये,
तन-मन-धन की सेवा दे के सरकारी स्कूल बनाये।

नयी पीढ़ी या पढ़ लिख के जगत में नाम कमावेगी,
नये जमाने नयी सोच पै घर आंगन समाज सुधारेगी,
खून पसीने के गेल्याँ सींच के सरकारी स्कूल बनाये।
तन-“मन-धन की सेवा दे के सरकारी स्कूल बनाये।

किसी कसूती सरकार या आई खावे है खूब मलाई,
चिराग योजना लागू कर दी निजीकरण की बुआई,
रंग-बिरंगे रंग बिखेर के या सरकारी स्कूल सजाये।
तन-मन-धन की सेवा दे के सरकारी स्कूल बनाये।

लोग-लुगाई रूकें मारें या किसी शिक्षा नीति बनाई,
बन्द कर दिए स्कूल हमारे नही कहीं कोई सुनवाई,
या क्या जाने जनहित भाई खाली कर दिए खजाने।
तन -मन -धन की सेवा दे के सरकारी स्कूल बनाये।

मास्टरां के पद खत्म कर दिए स्कूल हो गए खाली,
बच्चे मौज मस्ती रंग में रंग गए पीरियड सारे खाली,
गलत जगह पर गलत दाग दिए मारे माड़े निशाने।
तन-मन-धन की सेवा देकर सरकारी स्कूल बनाये।

कन्या स्कूल भी मर्ज किये उजड़े बाग बिना माली,
पढ़े लिखे या अनपढ़ लागे लागे मानस सारे जाली,
बिन शिक्षा के नही तरक्की क्यूकर कौन समझाये।
तन-मब-धन की सेवा देकर सरकारी स्कूल बनाये।

मनसीरत सौ बातें टके की घर गली नगर में बतावें,
सतबीर गोयत जैसे संघर्षी साथी आगे बात बढ़ावें,
एक जुट हो करो लड़ाई बात घर-घर में पहुँचावें।
तन-मन-धन की सेवा देकर सरकारी स्कूल बनाये।

बड़े बड़ेरूआं ने धरती देकर सरकारी स्कूल बनाये,
तन-मन-धन की सेवा देकर सरकारी स्कूल बनाये।
***************************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
Tag: गीत
147 Views
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