Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
9 Oct 2022 · 1 min read

शेर

अहमकों की दुनिया में अक्ल की ज़रूरत क्या है,
महफिल में अंधों की दीद की ज़रूरत क्या है।
गुज़र गई हो ज़िंदगी जिसकी मुफलिसी में,
मौत के बाद उसके नाम खैरात की ज़रूरत क्या है।
माना कि हुई होंगी कभी तुमसे भी गलतियां,
मांग लो माफ़ी और पुरसुकूं हो जाओ,
ताउम्र उसे लेकर परेशां रहने की ज़रूरत क्या है।

Loading...