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7 Oct 2022 · 1 min read

क्यों

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क्यों
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दिखाते खेल प्रभु हर पल नहीं हम देख पाते हैं ।
नदी के नीर से बहते हुए जीवन बिताते हैं ।।1

कहाँ से सूर्य आता है कहाँ से चन्द्रमा उगता ?
न सोचा ये सितारे इस तरह क्यों टिमटिमाते हैं ?2

कभी है सर्द मौसम तो कभी वर्षा कभी गर्मी ।
कहाँ से नीर लाके घन गरजते रिमझिमाते हैं ?3

उगे थे डाल पर कोमल कभी पत्ते गुलाबी से ।
वही पीले पड़े झर कर गिरे क्यों टूट जाते हैं ?4

किसी को नर बनाया क्यों यहाँ मादा बनी
कोई ?
खिलौने हैं उन्हीं के हम सभी ज्ञानी बताते हैं ।।5

जवानी खेलते बीती बुढ़ापा आ गया कैसे ?
सुहाने हैं बड़े फन्दे कसे क्यों मन लुभाते हैं ?6

उन्हीं की है सभी माया वही नित खेलते इससे ।
जलायें ‘ज्योति’ को क्यों फिर वही दीपक बुझाते हैं ।।7

महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
***
🪷🪷🪷

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