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3 Oct 2022 · 1 min read

*अनुकूल जो करता गया (गीतिका)*

अनुकूल जो करता गया (गीतिका)
_________________________
(1)
वह धन्य है प्रतिकूल को, अनुकूल जो करता गया
उत्साह से ऐसा भरा, उत्साह ही भरता गया
(2)
देश की रक्षा की खातिर, वीर जब आगे बढ़े
फिर शत्रु जो कोई दिखा, हर एक ही डरता गया
(3)
कौन टिक पाया है सात्विक दिव्य बल के सामने
दानव-असुर हर दुष्ट रण में, अंततः मरता गया
(4)
पाप-नाशक इसलिए सदियों से है गंगा नदी
जो नहाया जल में इसके, वह मनुज तरता गया
(5)
पग महापुरुषों के जिस भी राह पर देखे पड़े
सामान्य जन उस पंथ पर ही पैर निज धरता गया
———————————–
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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