Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Sep 2022 · 3 min read

जीवन की सोच/JIVAN Ki SOCH

(हमें बाधाएं और कठिनाईयां कभी रोकती नहीं है अपितु मज़बूत बनाती हैं)
लफ़्ज़ों से कैसे कहूं कि मेरे जीवन की सोच क्या थीं? आखि़र मैंने भी सोचा था कि पुलिस बनूंगा, डाॅ बनूंगा किसी की सहायता करके ऊॅचा नाम कमाऊंगा पर नाम कमाने की दूर… जिन्दगी ऐसे लडखङा गई जैसे शीशे का टुकङा गिर पड़ा हो फर्क इतना सा हो गया जितना सा जीव – व निर्जीव मे होता है । मै क्युं निष्फल हुआ ?
हाॅ मैं जिस कार्य को करता था उसमें सफल होने की आशा नही करता था मेहनत लग्न से जी -चुराता था इसलिए मेरे सोच पर पानी फेर फेर आया । गुड़- गोबर हो गया।अगर मैने मेहनत लग्न से जी – लगाया होता तो किसी भी मंज़िल पा सकता था ऊंचा नाम कमा था। अभी भी मेरे मन में कसक होती है।’ जब वे लम्हें याद आते हैं और दिल के टुकड़े-टुकड़े कर जाते हैं। कि काश, मैं उस दौर में समय की क़ीमत को जाना और समझा होता : जिस समय को युंही खेल – कुद , मौज- मस्ती मे लुटा दिया । बहरहाल, ‘अब मै गङे है मुर्दे उखाङ कर दिल को ठेस नही लगाऊंगा.. वरन् उन दिलों नव -नीव डालकर भविष्य का सृजन करुंगा ।’
हाॅ ,मै अल्पज्ञ हूं। किंतु इतना साक्षर भी हूं कि अच्छे और बुरे व्यक्ति की पहचान कर सकूं।उन दोनों की तस्वीर समाज के सामने खींच सकूं । फिर यह कह सकूं कि ‘ सत्यवान और कुटेव इंसान की सोच मे जमीं व आसमां से भी अधिक अन्तर होता है चाहे क्यों ना एक – दुजे का मिलन होता हो मत -भेद जरुर होता है।
उन दोनों की ख़्वाहिश अलग सी होती है ख़्वाबों में पृथक-पृथक इरादें लाते हैं ।सु – कृत्य और कु-कृत्य।सु कृत्यों मे जो स्थान किसी कि सहायता करना ,भुले -भटके को वापस लाना या ये कहें कि ऐसे सुकर्म जिनका फल सुखद होता है किन्तु वहीं कु कृत्य करने वाले कि सोच किसी कि ज़िल्लत करना , किसी पर इल्ज़ाम लगाने जैसे अशोभनीय और निंदनीय कर्मो से होता है
सभी कर्मो का इतिहास ‘कर्म साक्षी’ है। फिर कैसे राजा लंकेश के कपट -कर्म और मन के कलुषित – भाव ने उसके साथ समुचे लंका का पतन कर डाला।’माना कि झुठ के आड़ से किसी की जिंदगी सलामत हो जाती है तो उस वक्त के लिए झूठ बोलना सौ -सौ सत्य के समान है। परंतु निष्प्रयोजन मिथ्यात्व क्यों? फिर तो इस संसार में सत्य और सत्यवान की भी परीक्षा हुई है और सार्थक सोच की शक्ति ने विजय पाई है।’
‘महापुरुष हो या साधारण सभी परिवारीक स्थित मे मलिन होकर विषम परिस्थितियों में खोए रहते है । कहने का तात्पर्य है कि सम्पूर्ण ‘ ‘जीवन की सोच ‘ सत्कर्म मे होना चाहिए ।
मै तो यह नही कह सकता कि सोच करने से सदा आप सफल हो जाएंगे किन्तु मेहनत लग्न और विश्वास से रहे तो एक दिन चाॅद – तारे भी तोड़ लाएंगे
कहीं आप भी ऐसा कार्य न कर बैठे कि पीछे आपको आठ- आठ आंसू रोना पड़े।आज मुझे मालूम हुआ कि जीवन की सोच कैसी होनी चाहिये । मै तो असफल हुआ।ओंठ चाटने पर मेरी प्यास नही बुझी ।लेकिन आप ज्ञानवान हैं सोच समझकर कार्य करें ।आत्मविश्वास से मन की एकाग्रता से नही तो आपको भी आठ – आठ आंसू रोने पड़ेंगे ।
शिवराज आनंद

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 403 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

मातम
मातम
D.N. Jha
घावों को कुरेद कर, नासूर बना रहा हूं।
घावों को कुरेद कर, नासूर बना रहा हूं।
श्याम सांवरा
भीगी पलकें( कविता)
भीगी पलकें( कविता)
Monika Yadav (Rachina)
पर उपदेश कुशल बहुत तेरे
पर उपदेश कुशल बहुत तेरे
Raj kumar
आज बुजुर्ग चुप हैं
आज बुजुर्ग चुप हैं
VINOD CHAUHAN
सब कुछ ठीक है
सब कुछ ठीक है
Shekhar Chandra Mitra
घूंटती नारी काल पर भारी ?
घूंटती नारी काल पर भारी ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
भक्ति गीत (जय शिव शंकर)
भक्ति गीत (जय शिव शंकर)
Arghyadeep Chakraborty
ज़िन्दगी से हाँ कोई कम तो नहीं
ज़िन्दगी से हाँ कोई कम तो नहीं
Dr fauzia Naseem shad
*बेचारे लेखक का सम्मान (हास्य व्यंग्य)*
*बेचारे लेखक का सम्मान (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
हम तो हैं प्रदेश में, क्या खबर हमको देश की
हम तो हैं प्रदेश में, क्या खबर हमको देश की
gurudeenverma198
सेवा जोहार
सेवा जोहार
नेताम आर सी
मुझे भूल गए न
मुझे भूल गए न
मधुसूदन गौतम
#शोहरत कैसे मिले
#शोहरत कैसे मिले
Radheshyam Khatik
आँखे हैं दो लेकिन नज़र एक ही आता है
आँखे हैं दो लेकिन नज़र एक ही आता है
शेखर सिंह
हरियाली माया
हरियाली माया
Anant Yadav
दीप शिखा सी जले जिंदगी
दीप शिखा सी जले जिंदगी
Suryakant Dwivedi
मैं मरूँगा किसी शहर और काल में नहीं-
मैं मरूँगा किसी शहर और काल में नहीं-
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
पंख पतंगे के मिले,
पंख पतंगे के मिले,
sushil sarna
A Heart-Broken Soul.
A Heart-Broken Soul.
Manisha Manjari
खुद के साथ ....खुशी से रहना......
खुद के साथ ....खुशी से रहना......
Dheerja Sharma
#इधर_सेवा_उधर_मेवा।
#इधर_सेवा_उधर_मेवा।
*प्रणय प्रभात*
मुझे पति नहीं अपने लिए एक दोस्त चाहिए: कविता (आज की दौर की लड़कियों को समर्पित)
मुझे पति नहीं अपने लिए एक दोस्त चाहिए: कविता (आज की दौर की लड़कियों को समर्पित)
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सपनें अधूरे हों तो
सपनें अधूरे हों तो
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
मां तुम बहुत याद आती हो
मां तुम बहुत याद आती हो
Mukesh Kumar Sonkar
मोहब्बत का हुनर
मोहब्बत का हुनर
Phool gufran
एक एहसास
एक एहसास
Dr. Rajeev Jain
सोरठा छंद
सोरठा छंद
Sudhir srivastava
जातियों में बँटा हुआ देश
जातियों में बँटा हुआ देश
SURYA PRAKASH SHARMA
sp53जो भी लिखा है/ पत्नी जो भी कहे
sp53जो भी लिखा है/ पत्नी जो भी कहे
Manoj Shrivastava
Loading...