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17 Sep 2022 · 1 min read

*हटी तीन सौ सत्तर की जब धारा (मुक्तक)*

हटी तीन सौ सत्तर की जब धारा (मुक्तक)
_________________________
सत्तर सालों बाद देश का स्वाभिमान जागा है
सत्तर सालों बाद प्रथकतावाद भूत भागा है
काश्मीर से हटी तीन सौ सत्तर की जब धारा
लगा शहीदों के वंदन में तोपों को दागा है
_________________________
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
180 Views
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