*द्वितीय आ जाती है (गीतिका)*

द्वितीय आ जाती है (गीतिका)
_________________________
1
प्रथम समस्या ज्यों सुलझी, त्यों ही द्वितीय आ जाती है
भूलभुलैया जीवन की, शायद यह ही कहलाती है
2
चलते रहने का मतलब, जीवन का क्रम अब भी जारी
हृदय और सॉंसों की गति ,सारा रहस्य समझाती है
3
रुका हुआ तालाबों का, पानी गंदा हो जाता है
निर्मल जल उस सरिता का, जो रुकने कभी न पाती है
4
कहते हैं अनिकेत उसे, जो घर में कभी न बॅंधता
घर में रहता है परंतु, घर-चिंता नहीं सताती है
(5)
तेरा-मेरा जो करते, वह एक-एक कर चले गए
राम-नाम की सत्य-ध्वजा, जग में अब भी फहराती है
—————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर (उ. प्र.)
मोबाइल 99976 15451