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5 Sep 2022 · 1 min read

" नोट "

” नोट ”
अनमोल बहुमूल्य रत्न कलयुग का
ना समझ मुझे कागज का टुकड़ा
नर, नार, वृद्ध, नौजवान, बिन मेरे
रोएं सभी अपने जीवन का दुखड़ा,
प्रभात में उठकर सभी लग जाएं
नोट कमाने की अंधी होड़ में
भटके भूले सब व्यस्त से सोचें
पीछे ना रह जाएं अमीरी की दौड़ में,
दिन से रात, रात से दिन होती चली जाए
ना ही प्रकृति का आनंद उठा पाए
बच्चे कब हो गए बड़े पता ना चले
नोट की लत से ही मानव सुस्ताए,
चाहकर भी इंसान कुछ कर नहीं सकता
परिवार संग घूमने जाने का मन भी ललचाए
पेट पापी कमाई बिन भर नहीं सकता
नोट के बिना बेचारा बताओ कैसे घर चलाए।

Dr.Meenu Poonia

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