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1 Sep 2022 · 1 min read

*कुटिल प्राणी (मुक्तक)*

कुटिल प्राणी (मुक्तक)
____________________________________
कुटिल प्राणी के मन में उलझनों का वास रहता है
न जीवन में कभी उसके सुखद परिहास रहता है
सदा षड्यंत्र जो रचते हैं औरों को गिराने के
उन्हें अनजान-दुश्मन का सदा आभास रहता है
————————————————————
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
259 Views
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