*जगत*【 कुंडलिया 】

जगत【 कुंडलिया 】
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रहिए जग में इस तरह , रखें जगत-व्यवहार
डूबें गहरे पर नहीं , छुए हमें संसार
छुए हमें संसार , लगें हम नश्वर प्राणी
चलें जगत की चाल ,जगत की बोलें वाणी
कहते रवि कविराय ,कहे जो जग वह कहिए
भीतर – भीतर दूर , साँस से जग में रहिए
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451