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31 Aug 2022 · 1 min read

इन जुल्फों के साये में रहने दो

हम और कहीं अब क्यों जाएँ
इन जुल्फों के साये में रहने दो
हम और किसी को ना बतलाएँ
हमें बातें इस दिल की कहने दो
हम और किसी को…………..
तुमसे हूँ मैं और मेरा जहाँ
तुमसे ही तो है मेरी दास्ताँ
है तुम्ही से सुनो ये मेरी जिंदगी
इन जुल्फों के साये में रहने दो
हम और किसी को…………..
हमने है तुमसे प्यार किया
हमने तुमपे एतबार किया
है तुम्ही से मेरी ये दूनियाँ हँसी
इन जुल्फों के साये में रहने दो
हम और किसी को……………
है तुझपे सब अरमान फिदा
ये दिल फिदा ये जान फिदा
है तुम्ही से ‘विनोद’ सारी खुशी
इन जुल्फों के साये में रहने दो
हम और किसी को……………

स्वरचित
( विनोद चौहान )

2 Likes · 268 Views
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