Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
28 Aug 2022 · 1 min read

✍️दो पल का सुकून ✍️

आज दिल बड़ा बेचैन सा लग रहा है,
क्या लिखूँ , कैसे लिखूँ समझ नहीं आ रहा,
अजीब सा कौतूहल है दिमाग़ में,
ना जाने क्या उलझन है समझ नहीं आ रहा,
बड़ी थकी सी लग रही है ज़िंदगी,
शायद थोड़ा सुकून चाहिए,
बड़े खुशनसीब है वो लोग जिन्हें दो पल का सुकून मिल जाता है,
हम तो ऐसे है की हमसे मिला हुआ सुकून भी छिन जाता है,
काश कोई दर्द की कैद से मुक्त कर जाए,
काश कोई सारी उलझने दूर कर पाए,
चेहरे की मुस्कुराहट लौट आएगी मेरी,
बस वो दो पल का सुकून मिल जाए।

✍️वैष्णवी गुप्ता
कौशांबी

Loading...