Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
25 Aug 2022 · 1 min read

नदी सा प्यार

मैं भी बह रहा था झरने के जैसे
तू भी बह रहा था झरने के जैसे
मिले आज जो हम लग रहा है
बन गए है हम एक नदी के जैसे

हो गई है पहचान एक हमारी
है अब तो एक ही तक़दीर हमारी
साथ ही चलना है हर कदम पर
सागर में मिलना है मंज़िल हमारी

तेरे इस प्यार ने ही नदी बनाया है
इस झरने को नया जीवन दिया है
चलती रहे ये प्यार की नदी यूं ही
जिसके लिए झरने ने खुद को मिटा दिया है

न तू तू रहा न मैं मैं रहा
छोड़ो सोचना क्या छूट गया
तू भी उसी सांचे में और
मैं भी उसी सांचे में ढल गया

पहचान हो गई एक हमारी
ज़िंदगी अब बदल गई हमारी
साथ रहकर हर परिस्थिति में
कटेगी अब ये ज़िंदगी हमारी

मिले प्यार ऐसा ही जीवन में सबको
कहीं कोई अलग न हो जाए नदी की धारा
तू और मैं को हम बनाया जो प्यार ने
अब हम बनकर ही कटे हमारा जीवन सारा

जब झरने मिले तो नदी बने वो
है दुआ नदी सा प्यार मिले सबको
हो समंदर तक सफर साथ साथ
है दुआ, ऐसा प्यार मिले सबको।

Loading...