Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Aug 2022 · 2 min read

मै कैसे गलत हूँ ईश्वर?

जब से मैंने होश सम्भाला है,
आपका नाम सुना है ।
आप ही हो जग के रखवाले,
सबने मुझसे कहा है ।
आप ही जीवन देते-लेते हो,
ऐसा सब ने कहा है।
सब ने कहा है मुझसे आपने ही
इस संसार को रचा है।
इस संसार के हर कण-कण में,
आपका रूह बसा है।
जब तक आप न चाहो
इस संसार में एक पत्ता भी
नही हिलता है।
सुना है आपने अपनी रचनाओं में,
कोई भेद-भाव नही रखा है।
सुना है आपकी नजरों में,
राजा और रंक समान है।
यह जाति- धर्म, देश-विदेश
का विवाद,
यह सब चीजें इंसानों का
ही किया धरा है।
यह झुठ-सच,सही- गलत
सब इंसानो ने किया है।
अब आप बताओ मेरे ईश्वर ,
किन बातों पर विश्वास करूँ।
कैसे मैं इस सही गलत को तौलूं।
खुद पर मैं इल्जाम लगाऊँ,
या आप पर इल्जाम धरूँ।
जब डोर आपके हाथों में है,
फिर खुद को कैसे मै गलत कहूँ।
सबने क्या कहा मुझसे ?
तुम ईश्वर से सच्चे मन से मांगो,
वह तुम्हारी हर मुराद को पुरी करते हैं।
मै पूछती हूँ मेरे ईश्वर !
क्या उन भूखे बच्चों ने आपसे
सच्चे मन से कभी रोटी नही मांगा?
भूख से मरते बच्चे की माँ ने
क्या आपसे बच्चे के लिए
जीवन नही मांगा?
बारूद की ढेर पर बैठी दुनियाँ ने,
क्या आपसे शांति नही है चाहा।
आज जहां इंसान, इंसान का
खून बहा रहा है।
क्या किसी इंसान ने ,
आपसे इंसानियत नही है मांगा?
अगर आप ऐसे मै भी
चुप रह जाते हो,
सब देखकर भी अगर आप
अनदेखा कर जाते हो।
अगर ऐसे में भी आप
कुछ नही करते हो तो,
माफ करना मुझे ईश्वर!
मै क्यों नही आपकी
रचना पर प्रश्न उठाऊँ?
क्यों नही इस संसार के
सही गलत का इल्जाम
मैं आप पर लगाऊँ।
आखिर क्यों मै आपको
सिर्फ सही बतलाऊँ।
जब डोर आपके हाथों मे
फिर कैसे मै खुद को
गलत ठहराऊँ।
मैं क्यों नही आपके होने पर
प्रश्न उठाऊँ

अनामिका

4 Likes · 8 Comments · 342 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

Khushbasib hu Main
Khushbasib hu Main
Chinkey Jain
4291.💐 *पूर्णिका* 💐
4291.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
बचपन और बुढ़ापे का सच हैं
बचपन और बुढ़ापे का सच हैं
Neeraj Kumar Agarwal
कैसी दुनिया है की जी भी रहे है और जीने के लिए मर भी रहे है । क्या अजब लीला है तेरी की जो खो रहे ह, आखिर वही पा रहे
कैसी दुनिया है की जी भी रहे है और जीने के लिए मर भी रहे है । क्या अजब लीला है तेरी की जो खो रहे ह, आखिर वही पा रहे
अश्विनी (विप्र)
औरत की दिलकश सी अदा होती है,
औरत की दिलकश सी अदा होती है,
Ajit Kumar "Karn"
मां इससे ज्यादा क्या चहिए
मां इससे ज्यादा क्या चहिए
विकास शुक्ल
शिकवा
शिकवा
विशाल शुक्ल
नजरिया
नजरिया
पूर्वार्थ
शिक्षक दिवस पर चंद क्षणिकाएं :
शिक्षक दिवस पर चंद क्षणिकाएं :
sushil sarna
जीवन में आप सभी कार्य को पूर्ण कर सकते हैं और समझ भी सकते है
जीवन में आप सभी कार्य को पूर्ण कर सकते हैं और समझ भी सकते है
Ravikesh Jha
।।अथ सत्यनारायण व्रत कथा पंचम अध्याय।।
।।अथ सत्यनारायण व्रत कथा पंचम अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
महात्मा ज्योतिबा राव फुले
महात्मा ज्योतिबा राव फुले
डिजेन्द्र कुर्रे
भरोसा है मुझे
भरोसा है मुझे
Sanjay Narayan
चाहत
चाहत
Phool gufran
मोहब्बत तो अब भी
मोहब्बत तो अब भी
Surinder blackpen
बदनाम
बदनाम
Deepesh Dwivedi
आलस्य परमो धर्मां
आलस्य परमो धर्मां
अमित कुमार
*प्रेम का डाकिया*
*प्रेम का डाकिया*
Shashank Mishra
योगा मैट
योगा मैट
पारुल अरोड़ा
ग़ज़ल (मिलोगे जब कभी मुझसे...)
ग़ज़ल (मिलोगे जब कभी मुझसे...)
डॉक्टर रागिनी
मतदान
मतदान
Neerja Sharma
मैं एक नदी हूँ
मैं एक नदी हूँ
Vishnu Prasad 'panchotiya'
* हर परिस्थिति को निजी अनुसार कर लो(हिंदी गजल/गीतिका)*
* हर परिस्थिति को निजी अनुसार कर लो(हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
ग्रीष्म ऋतु --
ग्रीष्म ऋतु --
Seema Garg
धनुष वर्ण पिरामिड
धनुष वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
"वो और कुछ नहीं"
Dr. Kishan tandon kranti
"स्नेह के रंग" (Colors of Affection):
Dhananjay Kumar
...
...
*प्रणय प्रभात*
"क्रोधित चिड़िमार"(संस्मरण -फौजी दर्शन ) {AMC CENTRE LUCKNOW}
DrLakshman Jha Parimal
अगर सड़क पर कंकड़ ही कंकड़ हों तो उस पर चला जा सकता है, मगर
अगर सड़क पर कंकड़ ही कंकड़ हों तो उस पर चला जा सकता है, मगर
Lokesh Sharma
Loading...