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21 Aug 2022 · 1 min read

*नेता बूढ़े जब हुए (हास्य कुंडलिया)*

नेता बूढ़े जब हुए (हास्य कुंडलिया)
●●●●●●●●●●●●●●●●●
नेता बूढ़े जब हुए ,समझो हुए जवान
कुर्सी को कब छोड़ते ,कुर्सी इनकी जान
कुर्सी इनकी जान ,पैर यम ने हैं पकड़े
हिलती गर्दन रोज ,उच्च पद से पर अकड़े
कहते रवि कविराय ,बुढ़ापा अवसर देता
हुआ साठ के बाद ,उभरकर असली नेता
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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