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20 Aug 2022 · 1 min read

ढ़ूंढ़ रहे जग में कमी

ढ़ूंढ़ रहे जग में कमी, पहले खुद को आंक।
इधर उधर क्यों झांकते, अपने अंदर झांक ।
दिल में है कचरा भरा, सड़ा हुआ मस्तिष्क-
खुद की लुंगी है फटी, उसको पहले टांक।।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

1 Like · 1 Comment · 282 Views
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