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20 Aug 2022 · 1 min read

सुंदर मुखड़ा ताज है

सुंदर मुखड़ा ताज है
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तू ही मन का राज है,
सुंदर मुखड़ा ताज है।

कैसे हासिल के सकूं,
नभ में उड़ता बाज है।

लटके-झटके देख कर,
गिरती तन पर गाज है।

जन्नत तुम हो खुशनुमा,
बजते दिल के साज है।

मीठे – मीठे बोल सुन,
मिसरी सी आवाज़ है।

तेरे दर्शन हों कभी,
बिगड़े बनते काज हैं।

मनसीरत है अधमरा,
तीखे नख़रे नाज़ हैं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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