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19 Aug 2022 · 1 min read

कृष्ण मुरारी

कैसे क्या लिखूं तुम पर बलिहारी
अपरिभाषित हो तुम कृष्ण मुरारी

देवकी ललना यशोदा के पलना
वासुदेव का चंदा नन्द के अंगना

कंस का काल गोकुल का ग्वाल
निर्लिप्त योगेश्वर जन्मा नर लाल

निशा अँधियारी तोड़ बेड़ियाँ सारी
अपरिभाषित हो तुम कृष्ण मुरारी

रुक्मणी के कुंकुम राधा नैन अंजन
गोपियाँ सखा सत्यभामा के श्रीतम

मीरा के प्राण धन सुदामा का मीत
अधरन बंसी कण कण घोली प्रीत

पीत पट ललाट लट मोर पंख धार
अपरिभाषित हो तुम कृष्ण मुरारी

धेनु चरैया रास रचैया चतुर्भुज रूप
सागर गहरा बहती सरिता स्वरूप

शांतिदूत सर्वात्मा युद्ध की हुंकार
आत्मा का मंथन गीता का सार

अनादि अनन्त असीम गोवर्धन धारी
अपरिभाषित हो तुम कृष्ण मुरारी

#जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
रेखांकन।रेखा ड्रोलिया

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