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18 Aug 2022 · 1 min read

हम भटकते है उन रास्तों पर जिनकी मंज़िल हमारी नही,

हम भटकते है उन रास्तों पर जिनकी मंज़िल हमारी नही,
उन सितारों को हम चाहते है जिनकी रौनक हमारी नहीं,
सब कुछ था पास मेरे पर खलती रही तेरी कमी,
हम भटकते है उन रास्तों पर जिनकी मंज़िल हमारी नहीं।

✍️वैष्णवी गुप्ता
कौशांबी

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