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18 Aug 2022 · 3 min read

शंकर छंद और विधाएँ

शंकर छंद और विधाएँ

शंकर छंद 16- 10 , यति चौकल , चरणांत गाल

भोले भण्डारी शिव शंकर जी, नमन रुद्र अवतार |
डमरू बाले हरिहर मेरे , सृष्टि के सरकार ||
गेह हिमालय पर्वत ऊँचा , शुचि गंग है धार |
चंद्र भाल भी चमचम‌ चमके, शम्भु के दरबार ||

महादेव हरिहर सब कहते , उमापति शिवनाथ ।
नंदी जी की करें सवारी , भस्म शुचि है माथ ||
करता है त्रिशूल भी सेवा, मृग छाल है साथ |
सभी चाहते अपने ऊपर , शिवा प्रभु के हाथ ||

सुभाष सिंघई

#शंकर छंद –
मात्रा २६ , यति १६ – १०, पदांत गुरु लघु.

(शंकर छंद में शंकर जी की स्तुति

बम-बम हरिहर जय शिवशंकर, नम: श्री सर्वेश |
पुत्र विनायक विध्न विनाशक ,गणपति श्री गणेश ||
वाम अंग है जय जगदम्बा, पार्वती माँ नाम |
कार्तिकेय सुत गेह हिमालय , नम: श्री यह धाम ||
~~~~~~~~~~~~~~

शंकर छंद मुक्तक में

बम-बम हरिहर जय शिवशंकर, नम: श्री सर्वेश |
पुत्र विनायक विध्न विनाशक ,गणपति श्री गणेश |
वाम अंग है जय जगदम्बा, पार्वती माँ नाम –
कार्तिकेय सुत गेह हिमालय , नम: श्री गिरजेश |

सुभाष सिंघई
=============================

शंकर छंद गीत में

पुत्र विनायक विध्न विनाशक ,गणपति श्री गणेश |मुखड़ा
बम-बम हरिहर जय शिवशंकर, नम: श्री सर्वेश || टेक

वाम अंग है जय जगदम्बा, पार्वती माँ नाम |अंतरा
कार्तिकेय सुत गेह हिमालय , नम: श्री यह धाम ||
भोले बाबा सब जन कहते , सँग जीव करुणेश | पूरक
बम-बम हरिहर जय शिवशंकर, नम: श्री सर्वेश || टेक

डमरू डम-डम बम-बम बोले , हैं त्रिलोचन एक |अंतरा
चन्द्र भाल पर चमचम चमके , गंग है नेक |

डमरू डम-डम बम-बम बोले , हैं त्रिलोचन आप |अंतरा
चन्द्र भाल पर चमचम चमकत , हरता है त्रिताप |
इस जग के मायापति जानो , है पूर्ण उपदेश | पूरक
बम-बम हरिहर जय शिवशंकर, नम: श्री सर्वेश || टेक

जटा भस्म मृग छाला तन पर , अनुपमा शृंगार | अंतरा
जय जय पशुपति नाथ तुम्हारी , हे रुद्र अवतार ||
शरणागत है यहाँ सुभाषा , हरना सभी क्लेश | पूरक
बम-बम हरिहर जय शिवशंकर, नम: श्री सर्वेश || टेक

सुभाष ‌सिंघई

========================

#शंकर छंद –
मात्रा २६ , यति १६ – १०, पदांत गुरु लघु.

(शंकर छंद में शंकर जी की स्तुति

बम-बम हरिहर जय शिवशंकर, नम: श्री सर्वेश |
पुत्र विनायक विध्न विनाशक ,गणपति श्री गणेश ||
वाम अंग है जय जगदम्बा, पार्वती माँ नाम |
कार्तिकेय सुत गेह हिमालय , नम: श्री यह धाम ||

त्रिशूल हाथ में डमरु डम डम , हैं त्रिलोचन एक |
चन्द्र भाल पर चमचम चमके , गँगोत्री है नेक ||
जटा भस्म मृग छाला पहने , अनुपमा शृंगार |
जय जय पशुपति नाथ तुम्हारी , हे रुद्र अवतार ||

काँवड़ यात्रा चलती सावन , है रुद्र अभिषेक |
दरबार जहाँ शिव शंकर का , वहाँ बाँछा नेक ||
चलते जाते करते रहते , शिवा ध्वनि उच्चार |
माथा‌‌ टेके यात्रा पूरण , उमापति दरबार ||

सुभाष सिंघई

~~~~~~~~~~~~~~

शंकर छंद गीतिका में

बम-बम हरिहर जय शिवशंकर, नम: श्री सर्वेश |
पुत्र विनायक विध्न विनाशक ,गणपति श्री गणेश ||

वाम अंग है जय जगदम्बा, पार्वती माँ नाम ,
कार्तिकेय सुत गेह हिमालय , नम: श्री गिरजेश |

त्रिशूल हाथ में डमरु डम डम , हैं त्रिलोचन एक ,
चन्द्र भाल पर चमचम चमके , गँगोत्री श्री केश |

जटा भस्म मृग छाला पहने , अनुपमा शृंगार ,
जय जय पशुपति नाथ तुम्हारी , हे रुद्र श्री भेष |

नंदीनाथ दिखे हैं वाहन , रहे आप सवार ,
भोले बाबा सब जन कहते , कहें श्री करुणेश |

सभी वर्ग के गण तुम रखते , सुनो श्री अवधूत,
शरणागत है यहाँ सुभाषा , हरना सभी क्लेश |

सुभाष ‌सिंघई

==============================

Language: Hindi
6 Likes · 2 Comments · 363 Views
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