Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Aug 2022 · 1 min read

कलम पकड़ लिखते रहो

******* कलम पकड़ लिखते रहो *********
************************************

कलम पकड़ लिखते रहो,कभी ना रुको आप।
नयन निंदिया हम भरे , शीतल होगा ताप।।

वचन के तुम प्रहार से , करो बुराई साफ।
जन हित में जो भी करो,ग़लती होगी माफ़।।

ऐसी करनी तुम करो , जग में हो सब नाम।
जन की सेवा में छिपा , चारों दर्शन धाम।।

तेरा – मेरा कुछ नहीं , छाया माया जाल।
लोभ – मोह में है मरा, मानुष सिर पर काल।।

मनसीरत है देखता , सब के मन में चोर।
मानवता के नाम का , सुनता रहता शोर।।
**************************************
सुखविन्दर सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
1 Comment · 202 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मैं पर्वत हूं, फिर से जीत......✍️💥
मैं पर्वत हूं, फिर से जीत......✍️💥
Shubham Pandey (S P)
क्या लिखू
क्या लिखू
Ranjeet kumar patre
बंधन खुलने दो(An Erotic Poem)
बंधन खुलने दो(An Erotic Poem)
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
चलते रहने वालों की है, पहचान इस दुनिया में
चलते रहने वालों की है, पहचान इस दुनिया में
पूर्वार्थ
तेरी पनाह.....!
तेरी पनाह.....!
VEDANTA PATEL
हीरा जनम गंवाएगा
हीरा जनम गंवाएगा
Shekhar Chandra Mitra
हमें अपने स्रोत से तभी परिचित होते है जब हम पूर्ण जागते हैं,
हमें अपने स्रोत से तभी परिचित होते है जब हम पूर्ण जागते हैं,
Ravikesh Jha
मुकर्रम हुसैन सिद्दीकी
मुकर्रम हुसैन सिद्दीकी
Ravi Prakash
दो अक्टूबर - दो देश के लाल
दो अक्टूबर - दो देश के लाल
Rj Anand Prajapati
कभी कभी आईना भी,
कभी कभी आईना भी,
शेखर सिंह
"दिल की तस्वीर अब पसंद नहीं।
*प्रणय प्रभात*
- मेरी कविता पढ़ रही होगी -
- मेरी कविता पढ़ रही होगी -
bharat gehlot
मित्र दिवस पर आपको, सादर मेरा प्रणाम 🙏
मित्र दिवस पर आपको, सादर मेरा प्रणाम 🙏
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
रणबंका राठौड़
रणबंका राठौड़
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
गले लगा लेना
गले लगा लेना
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
यादें जो याद रह जाती है
यादें जो याद रह जाती है
Dr fauzia Naseem shad
"अल्फ़ाज़ मोहब्बत के"
Dr. Kishan tandon kranti
माँ की पीड़ा
माँ की पीड़ा
Sagar Yadav Zakhmi
हाँ, किसी के काबिल तो हूँ
हाँ, किसी के काबिल तो हूँ
Jitendra kumar
गृहणी का बुद्ध
गृहणी का बुद्ध
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
चाहे जिसको नोचते,
चाहे जिसको नोचते,
sushil sarna
कहन को जीवात्मा ज्ञानी सभी
कहन को जीवात्मा ज्ञानी सभी
संजय निराला
गागर सागर नागर
गागर सागर नागर
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
वक्त की रेत
वक्त की रेत
Surinder blackpen
तुमसे मिलके
तुमसे मिलके
Mamta Rani
मन
मन
MEENU SHARMA
आओ हम सब प्रेम से, बोलें जय श्रीराम
आओ हम सब प्रेम से, बोलें जय श्रीराम
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
नज़र से तीर मत मारो
नज़र से तीर मत मारो
DrLakshman Jha Parimal
समाज में परिवार की क्या भूमिका है?
समाज में परिवार की क्या भूमिका है?
Sudhir srivastava
Loading...