Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
15 Aug 2022 · 1 min read

दिल में बस जाओ तुम

याद तेरी दिल से क्यों जाती नहीं
तुमको तो मेरी याद आती नहीं
करती है मिलने का वादा हमेशा
जाने तू मिलने क्यों आती नहीं

देखता हूं हर वक्त तेरी ही राह
जबतक तू मिलने आती नहीं
रहता है मेरा रोम रोम हर्षित
जबतक तू मुझसे दूर जाती नहीं

लेकर करवटें रातों में
मैं तुम्हें सोचता रहता हूं
नहीं दिखते जब सामने
मैं तुम्हें खोजता रहता हूं

बात करता हूं जब भी किसी से
ज़िक्र तुम्हारा ही होता है उसमें
रोकता हूं जब कहीं जाने से तुम्हें
फिक्र तुम्हारी ही होती है उसमें

बैठी होगी तू किसी पेड़ के नीचे
मेरे इंतज़ार में शायद आज भी
होगी तुम्हारी भी इच्छा शायद
कहीं मुझसे मिलने की आज भी

हूं बस मैं तेरी आस में आज भी
जाने तू ये बात क्यों समझता नहीं
बहुत समझाता हूं अपने दिल को
वो भी तुम्हारे सिवा कुछ समझता नहीं

अब यादों के भंवर से निकलकर
मेरी ज़िंदगी में आ जाओ तुम
बहुत हो गया अब तो इंतज़ार
मेरे दिल में हमेशा के लिए बस जाओ तुम।

Loading...