Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
13 Aug 2022 · 1 min read

भव सागर से पार, मुझे माता करना

शनिवार, 13-08-2022

आधार छंद- मंगलमाया (मापनीमुक्त मात्रिक)
विधान- 22 मात्रा, 11-11 पर यति, गाल-यति-लगा
समान्त- अना, अपदान्त।
विधा – गीतिका

मातु शारदे आज, सरस झोली भरना।
सिरजन में हो सार, सदा किरपा रखना। ।(1)

गीत लिखूं या गान, रचूं रचना अनुपम,
ये ही है अरदास, बने सुंदर रचना। (2)

छंदों से रस धार,बहे बनकर धारा,
तेरा हो गुणगान, यही मुझको कहना। (3)

उलझा मैं मझधार ,नहीं कुछ ज्ञान मुझे ,
उलझन के ये फंद, सभी से है लड़ना।(4)

अटल जोड़ता हाथ, सदा रखना ऊपर ,
भव सागर से पार, मुझे माता करना।।(5)

Loading...