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11 Aug 2022 · 1 min read

तिरंगे की ललकार हो

जीत हो जयकार हो ,
हर घर पर तिरंगे की
ललकार हो,
आजादी का अमृत है,
महोत्सव हर बार हो।

प्रभूत हुआ था जुल्म सितम,
देश में अपने थे गुलाम हम,
ना कहने का अधिकार था,
ना घर अपना आबाद था
विगुल फूंक दिया प्रबुद्धों ने,
विद्रोह जोरदार हो।

जीत हो जयकार हो ,
हर घर पर तिरंगे की
ललकार हो…

जीत मिली आज़ादी की,
वीरों ने जान गवाई थी,
वतन पर कुरबां होने को,
हर मां ने कसम दिलाई थी,
शीश चढ़ा दो ऐसा,
दुश्मन हाहाकार हो।

जीत हो जयकार हो ,
हर घर पर तिरंगे की
ललकार हो…

वीरों की कुर्बानी
ना जाएगी बेकार,
याद रखेंगे उनको
हम सदा हर बार,
इन सच्चे सपूतों की खातिर,
सर सम्मान का उठाया है
झुकने ना देंगे तिरंगा,
चाहे जां निसार हो।

जीत हो जयकार हो ,
हर घर पर तिरंगे की
ललकार हो…

तिरंगा हमारी आन है,
शान्ति, संस्कृति,सभ्यता,
और सदभावना की शान है,
स्वतंत्रता,अखंडता,गौरव,
और देशभक्ति की पहचान है।
फ़क्र करो,उत्सव करो,
नमन-नमन सौ बार हो।

जीत हो जयकार हो ,
हर घर पर तिरंगे की
ललकार हो,
आजादी का अमृत है,
महोत्सव हर बार हो।

कुमार दीपक “मणि”
11/08/2022
(स्वरचित)

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