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9 Aug 2022 · 1 min read

✍️अपने .......

रिश्तों के खातिर दुनिया से खुद को हराये बैठे है ,
फिर भी अपनो की शक़्ल में न जाने कितने दुश्मन बनाये बैठे है,
सोचा था अपनो की खुशियों मे कभी कमी न होने देंगे,
हमे क्या पता था अपने हमारी ही खुशियों मे आग लगाए बैठे हैं।

✍️वैष्णवी गुप्ता
कौशांबी

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