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3 Aug 2022 · 1 min read

जीवन के आधार पिता

जीवन के आधार पिता
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पिता धरोहर ,जीवन के आधार पिता
जीवन रूपी नैया के पतवार पिता !

तपती धर पर हैं शीतल जलधार पिता ,
कर्तव्यों को सदा निभाता प्यार पिता !

कभी खुशी तो कभी गमों में
रहकर भी ,
छाया बनकर देते शीतल छांव पिता !

सख्त कभी लगते पर कोमल भीतर से ,
करते ऊर्जा का नूतन संचार पिता !

बच्चों की खातिर जीवन भर दौड़ रहा ,
करता पूरी हर छोटी सी चाह पिता !

खुद की खातिर नहीं कभी कुछ
रखता है ,
कर देता अपना सब कुछ
बलिदान पिता !

सच मानो तो एक सघन है वृक्ष पिता ,
जिसके साए में पलता परिवार पिता !

कभी किसी प्रतिफल की आशा
किया नहीं ,
आजीवन करता बस अपना
कर्म पिता !

नहीं समझता कोई उसकी कीमत को ,
जबतक रहते हैं अपनों के पास पिता !

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