Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
15 Nov 2022 · 2 min read

मनड़ा री वात

मायड़ धरा नै छोड्या आज 1 मास हौवण आया, पण उण री ओल्यूं रैर-रैर आवै है।

जिंदगी री गांड़ी धकै हांकण सारु मोटियार परदेस कांनी मुंड़ो करै ह। परदेसा रा मोटा-मोटा रुपिया रो लालच म्हारै जिस्यां नै मायड़ भौम सूं दूर करै ह। आपणा परिवार री जरुरतां अर दो पिस्या कनै बचावण सारु आपणी मायण भौम अर मायत रा आंचल सूं अळगौ रेवे ह। परदेसा रो पळायण घणा नै तो चौखो लागै है, सरु सूं ही वा री दीठ मांही परदेस जावण रौ सुपनो हौवे ह। पराया देस जा’यर कमाई करै अर परदेसा री मोटी कमाई सूं वठै ही बंगळा अर कोठिया चिणा’र वठै ही बस जाया करै ह। पण घणा रो देसावर रो पलायण आपणी जिम्मेवारी ही हुया करै ह, आपणी जिम्मेवारी निभावण सारुं दिसावर कांनी जावै ह। परदेस रैवतै थकां वणा री दीठ मांही आपणी मायड़ धरा री मांटी री सुबास बस्योड़ी रैया करै ह, दिसावर रो शहरीपण वारै रग-रग अर मन बस्योड़ो गांव री भौळप नै नी बिसार सकै ह। शहरां री चमकीळी अर भड़कीळी दूनियां आपणो असर वणा रै चित बस्योड़ा चित्राम नै नीं मिटां सकै ह। परदेस रैवतां थका भी वणा रो मन आपणी मायड़ धरा मांही रैया करै ह।
सुरज री पैळी किरत्यां रै साथै ही गांव री ओल्यूं री यात्रा सुरु हुया करै ह। गांव रा लोगां रो सुरज सूं पैळा उठण रो चांव शहर आया पछै भी कौनी छुटै। आपणा नैम सूं सुरज सूं पैळा उठ’तो जावता, पण करतो कांई, अठै लोगां नै सुबह री सैर रो कांई नियम तो हुवतौ नीं , अठै रा लोगां रो दन तो सुरज चमक्या पछै उग्या करै ह। सुरज तो परदेस मांही भी आपणा वख्त माथै ही उग्या करै ह, पण लोगां रै वास्तै वणा री प्रभात, सुरज जद आपणा पूरण आभा बिखैरे वद हुवै।
लोगां नै अठै इक दूजा सूं मिळण रो अर बातां रो कांई चाव नीं हुवै। सबै आपणी-आपणी दूनियां मांही रम’या करै है। किणी अणजाण परदेसी सूं नीं बतळावण री तो जाणै अठै परंपरा हो। कोई परदेसी दूर गांव सूं नौकरी सांरु जद पलायण करै ह, जणा उण रै वास्ते ई नुवै परिवेस मांही रैवणो सुरुआत में दौरो हुया करै ह, पण दन धकै सौरो हुय जावै ह। गांव सूं आयो परदेसी इण भांत रो व्यवहार देख वणा रो मन पसिजै, पण परदेस री नौकरी ईयां ही हुया करै ह।

लक्की सिंह चौहान
बनेड़ा जिला-भीलवाड़ा
राजस्थान

Loading...