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1 Aug 2022 · 1 min read

रुक-रुक बरस रहे मतवारे / (सावन गीत)

रुक-रुक
बरस रहे मतवारे ।

घरर-घरर
ध्वनि उत्तर आती,
सरर-सरर
सर दक्षिण जाती ।

नैना
तरस रहे कजरारे ।

टप-टप
पूरब बूँद छलकती,
रस-रस
पश्चिम देह सँवरती ।

नभ में
सरस रहे घुँघरारे ।

रह-रह
डाबर,कूप उभरते,
झर-झर
झरने,ताल उछलते ।

खच-खच
कीच मची गलियारे ।

रुक-रुक
बरस रहे मतवारे ।
०००
— ईश्वर दयाल गोस्वामी
छिरारी (रहली),सागर
मध्यप्रदेश ।

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