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31 Jul 2022 · 1 min read

तलवे जो हैं चाटते

कुंडलिया छंद…

तलवे धोकर पी रहे, जो साहब दिन रात।
करना तुम देखो नहीं, उनकी कोई बात।।
उनकी कोई बात, बड़े प्रिय यह है होते।
करते अपना काम, बोझ साहब का ढ़ोते।।
धन-दौलत बटमार, दिखाते रहते जलवे।
‘राही’ निकृष्ट कार्य, चाटते जो हैं तलवे।। 602

डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’

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