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31 Jul 2022 · 1 min read

मुख पर तेज़ आँखों में ज्वाला

मुख पर तेज़ आँखों में ज्वाला
कवि तुमने ऐसा क्या लिख डाला

लिख डाला
पीड़ा विरह वेदना
बहुत हो चुका अब और न सहना
पिंजरे की मैना पिंजरे में न रहना
उड़ जाएगी एक दिन तोड़ के ताला
कवि तुमने ऐसा क्या लिख डाला

लिख डाला
बंदिशें क़ानून नियम
अब और न सहना ये जुल्म सितम
चीर तम उजालों में रखेगी कदम
घूँघट से बाहर निकलेगी बाला
कवि तुमने ऐसा क्या लिख डाला

लिख डाला
तोहमतें ताने तंज
अब और न सहना ये चुभते रंज
न होगी उसकी देह पर शतरंज
नारी है नही अहम का निवाला
कवि तुमने ऐसा क्या लिख डाला

लिख डाला
उपेक्षा अनादर अपमान
अब और न सहना मन में ले ठान
रच देगी तांडव छेड़ा जो स्वाभिमान
शिव हो जाएगी वो पीकर हाला
कवि तुमने ऐसा क्या लिख डाला

मुख पर तेज़ आँखों में ज्वाला
कवि तुमने ऐसा क्या लिख डाला

रेखांकन।रेखा

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