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30 Jul 2022 · 1 min read

एक दुआ

मैं एक प्यासा मुसाफ़िर हूं
दूं तो तुम्हें क्या दूं!
अपनी आहों के शोले या
आंसू का दरिया दूं!!
तुम तो नहीं,लेकिन तुम्हारी-
ख़ामोशी यह बोली-
अगर देना ही है तो सिर्फ़
पानी की दुआ दूं!!
Shekhar Chandra Mitra
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