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29 Jul 2022 · 1 min read

कल्पना

कल्पना
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कल्पनाएं करना आपका अधिकार है
जी भर कीजिए न
भला रोका किसने?
या रोक सकता ही कौन है?
मगर सार्थक, सोद्देश्य कल्पना ही कीजिए,
कल्पनाओं के खोखले समुन्दर में
सिर्फ गोते न लगाइये, हवा में न उड़िए।
कल्पना की संकल्पना को
मूर्तरुप देने का यदि भाव जगाना है
अपने आप में,
खुद में जज्बा है तो
कल्पना खूब कीजिए
बहुत अच्छा है।
तब हर कोई आपका साथ देगा
प्रकृति ही नहीं ईश्वर भी आपका संबल बनेगा,
आपकी राहों का काँटा चुभने से पहले ही
कुंद होकर रह जायेगा
आपका मार्ग निष्कंटक बन जायेगा।
कल्पनाएं ऐसी कीजिए
जो औरों के काम आये न आये
कोई बात नहीं है,
ऐसी कल्पना भूलकर भी मत कीजिये
जो आपके और आपके अपनों के लिए
कहीं बोझ या अभिशाप
साबित न हो जाए
आपकी बर्बादी का सूत्रधार न बन जाए,
और कल्पना जीवन भर के लिए
सिर्फ डरावना ख्वाब बन जाये।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
8115285921
©मौलिक, स्वरचित

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