Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
19 Jul 2022 · 1 min read

हम भी आधी आबादी हैं

क्यों करते हो भेदभाव इतना
हमारी भी संवेदनाएं है
पुरूष हूँ मैं, मेरा जीवन सीधी- सादी है
हम भी आधी आबादी हैं

बचपन से ना रोने दिया
लड़का हो तुम, ये सबने कह दिया
किसी ने न जाना, क्यों हम खामोशी के आदी है
हम भी आधी आबादी हैं।

हर कष्ट को हँसकर झेल जाते हैं
रुआँसी में भी मुस्कुरा कर बढ़ जाते हैं
घर परिवार की जिम्मेदारियां जो हम पे लदी हैं
हम भी आधी आबादी हैं

ख्वाहिशें उसकी थी, क्षमता से ज्यादा
उसको नौकरी वाला लड़का चाहिए था
दहेज देकर लोग 3% की स्वादी हैं
हम भी आधी आबादी हैं

झूठा आरोप लगकर भी वो एक अबला नारी हैं
निर्दोष होकर भी मुझपर कानून क्यों अत्याचारी हैं
किससे कहूँ दर्द अपना, सब यहाँ वर्दी खादी हैं
हम भी आधी आबादी हैं।

हमने कभी नहीं मांगा हैं
दहेज लेने वाला वो जमाना पुराना हैं
कोई तो सुन ले मुझे, हम भी परिवादी हैं।
हम भी आधी आबादी हैं।

उसके आँशुओ पर तुम पिघल गये
हम तो टूट कर बिखर गये
वो ही मेरे घर संसार की बर्बादी हैं
हम भी आधी आबादी हैं।

जमाना बदल गया, हम पत्नी पीड़ित हैं
ससुराल के हम शिकारी हैं
रोहतक का निर्भय, हर घर के वादी हैं।
हम भी आधी आबादी हैं।

अब तो कर दो बदलाव तुम, 98% है झूठ केस
हम इज्ज़त से जीना चाहते, हमसे कोई ना रखे द्वेष
मानवाधिकार उल्लंघन के मियादी हैं
हम भी आधी आबादी हैं।

कवि:- Er. M. Kumar

Loading...