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19 Jul 2022 · 1 min read

अंतिम संस्कार

अपनों में कोई गया ,श्वास-श्वास को हार ।
द्वार अतिथि आए सभी ,है अंतिम संस्कार ।।1

छोड़ गया संसार जो ,आती उसकी याद ।
परिजन सब ही रो रहे ,करते क्रंदन नाद ।।2

किया गया अब स्वच्छ घर ,अन्य हुए सब काम ।
रखी गई फोटो वहीं ,अंकित नीचे नाम ।।3

सभी आत्म दर्शन किए ,देह पड़ी जब खाट ।
घंटे भर रोना हुआ ,गई लाश फिर घाट ।।4

खेत बाग कोई गया ,कोई तो बाजार ।
तोड़ रहे हैं मौन अब ,पूछ रहे तिथि-वार ।।5

रही उदासी कुछ दिनों ,व्यस्त हुए घरबार ।
लौट चले सारे अतिथि ,अपने-अपने द्वार ।।6

भीड़ तेरही की जमा ,छक कर खाए भोज ।
लौटी दिनचर्या पुनः ,दिखा सभी में ओज ।।7

हाय-हाय करना नहीं ,अपने को ले रोक ।
मानुष तेरा है यहाँ ,तेरह दिन का शोक ।।8

भूल गए हैं सब तुम्हें ,जमी चित्र पर धूल ।
भाग रहे फिर पाँव नित ,समय हुआ अनुकूल ।।9

मुठ्ठी में बाँधे समय ,लाखों में वह एक ।
मिले तुम्हें अनमोल पल ,काज करो कुछ नेक ।।10

जीवन का सच जान ले ,रहे घाट तक साथ ।
छूटेंगे प्रियजन सभी , जाना खाली हाथ ।।11

डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
स्वरचित
वाराणसी

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