*उगता सूरज देखकर (कुंडलिया)*

उगता सूरज देखकर (कुंडलिया)
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उगता सूरज देखकर, चिड़िया बोली लाल
जल्दी उठना सीख तू, रख निज कुल का ख्याल
रख निज कुल का ख्याल, देर तक कभी न सोना
मनुज जाति की भॉंति, पड़ेगा वरना रोना
कहते रवि कविराय, जगत-खग दाना चुगता
उड़ता नभ में उच्च, सुबह जब सूरज उगता
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451