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6 Jul 2022 · 1 min read

अब जमाना आ गया( गीतिका )

अब जमाना आ गया( गीतिका )
“””””””””””””””””””””'”””””””””””””””””””””””
फेसबुक और व्हाट्सएप का अब जमाना आ
गया
अच्छा हुआ हमको कि जो इनको चलाना
आ गया (1)

डाकिए की शक्ल देखे एक अरसा हो चुका
चिट्ठियों ! अब तो हमें तुमको भुलाना आ गया(2)

जिनको समझते थे सरल-सीधा सदा निर्दोष
हम
अब सुना है उनको भी पीना-पिलाना आ
गया (3)

सोहबतों का है असर या फिर जमाने की हवा
रिश्वतें सबको मजे से खूब खाना आ गया(4)

बातें करेंगे चार गज की, इंच-भर हिलना नहीं
गाल देखो जाने कितनों को बजाना आ गया(5)

सब समस्याओं का केवल एक हल आया
समझ
” हम दो हमारा एक “-राहों पर जो जाना आ
गया (6)

अक्सर बहस में जीतने का अर्थ होता हार है
जीत उसकी है जिसे सिर को झुकाना आ
गया (7)
“”””””””””””””””””””””‘”””””””””””””””””””””””
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा,रामपुर
( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451

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