Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jul 2022 · 3 min read

जीवन में भाषा की लड़ाई !

जीवन में भाषा को लेकर भी बहुत असमंजस की स्तिथि बनी रहती है। जिसे अंग्रेजी नहीं आती वो अंग्रेजी की बहुत इज्जत करता है और उसे सीखने की कोशिश में लगा रहता है। इसमें कोई गलत नहीं। लेकिन समस्या की शुरुआत तब होती है जब हम अपनी इस अंग्रेजी न बोलने को अपनी कमजोरी बना लेते है और दुसरो से खुद को बहुत पीछे मानते है। बेवजह ही ऐसे लोगो की इज्जत करनी शुरू कर देते है जो अच्छे से अंग्रेजी बोल लेते है। जब हम ऐसा करते है तो अंग्रेजी को भाषा नहीं उसे हम एक समस्या की तरह भी लेने लग जाते है और अपनी असफलता का एक कारण इसे भी बना देते है की मै तो सही से अंग्रेजी बोल नहीं पाता इसीलिए मेरे साथ ऐसा हुआ। लेकिन मेरा मानना है की ठीक है अंग्रेजी न आने की वजह से कोई मौका हाथ से निकल गया लेकिन ऐसे कई अवसर हमें मिलते है जहाँ हम अपनी कौशल से या फिर कह सकते है अपने आत्मविश्वास से , अपने निर्भय चरित्र से , अपनी बात समझाने की क्षमता से , सुनने की क्षमता से वो कर सकते है जो एक अंग्रेजी बोलने वाला न कर पाए।

भाषा को लेकर कुछ ऐसी घटनाये है जो मै आप सभी से साझा करने जा रहा हूँ। बात उस समय की है जब दादी बिहार के छोटे से गाँव से निकल कर दिल्ली आयी और मै, पापा और दादी एक साथ रहने लगे। दादी ने शहर में देखा की सब हिंदी में बोलते है लेकिन उनकी भाषा तो मैथिलि थी ऐसे में कौन उनकी बात को समझ पायेगा तो उन्होंने टूटी फूटी हिंदी बोलनी शुरू कर दी। दादी की सबसे अच्छी आदत थी की वो सब कुछ सीख लेना चाहती थी 70 की उम्र में भी और इस आदत को मैंने अपने जीवन में अपनाया है। मैंने एक दिन उन्हें देखा की किसी से बात कर रही थी टूटी फूटी हिंदी में लेकिन जो वो दिल से बोलना चाहती थी नहीं बोल पा रही थी हिंदी की वजह से। मै उनके पास गया और मैंने बोला दादी आप अपनी भाषा मैथिलि में ही बात करो और खुल के दिल की हर बात बोलो। कुछ तो मेहनत सुनने वाले को भी करने दो आपकी बात समझने के लिए। उस दिन के बाद से उनके जीवन में जो भाषा की लड़ाई थी वो ख़तम हो गयी। जिससे भी मिलती थी और बात करती थी , बिना रुके अपनी बात अपनी मातृभाषा में करती थी और बहुत खुश होती थी।

एक घटना है जब मेरी पत्नी ने एक अमेरिकन कंपनी में काम करना शुरू किया था तब वो अपने काम के बारे में बता नहीं पाती थी और सवाल के जवाब होने के बाद भी अंग्रेजी अच्छे से न बोलने के कारण चुप ही रहती थी। ऐसा 2 से 3 बार हुआ फिर मैंने बीच मीटिंग में बोला की आप सभी से अनुरोध है की क्या आप अपने सवाल हिंदी में पूछ सकते है ताकि ये आपके सभी सवाल का जवाब हिंदी में दे सके। जहाँ सभी लोग IIT , IIM से पढ़े हो जब उनका जवाब आया जरूर हिंदी में बात कर सकते है और अब उनसे सवाल हिंदी में ही पूछा जाता है और वो जवाब भी देती है। इसका इतना असर हुआ की उन्होंने अपने काम को भी दिल से समझना शुरू कर दिया और उनका आत्मविश्वास कई गुणा पहले से बढ़ चूका है। अब वह हमेशा ही तैयार रहती है अपने काम से सम्बंधित सवाल के जवाब देने का और अपने करियर में अच्छा कर रही है। साथ में अंग्रेजी भी सीख रही है।

जिस समय मै दिल्ली आया तब मै 10 वर्ष का था और अब दिल्ली में 21 साल हो गए फिर भी अपनी मातृभषा मैथिलि बहुत अच्छे से बोलता हू। घर में माँ पापा और भाई सभी से मैथिलि में ही बात करता हू। गाँव जाने पर हिंदी का इस्तेमाल न के बराबर ही करता हू। मै भी एक अमेरिकन कंपनी के लिए काम करता हूँ वहां जरुरत होती है तो अंग्रेजी भी बोल लेता हूँ। लेकिन कोई दिल से पूछे की कौन सी भाषा है जिसमे बोलना मुझे बहुत अच्छा लगता है तो जवाब होगा मैथिली।

भाषा का इस्तेमाल जरुरत के हिसाब से होनी चाहिए और किसी भाषा के न आने पर उसे समस्या की तरह नहीं लेना चाहिए। उस भाषा को जरूर सीखना चाहिए जिससे आप जीवन में और ज्यादा अच्छा कर सकते है लेकिन किसी भाषा की वजह से जीवन में पीछे रह जाना सही नहीं है।

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 2 Comments · 251 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

विचार
विचार
Godambari Negi
प्यारी लगती है मुझे तेरी दी हुई हर निशानी,
प्यारी लगती है मुझे तेरी दी हुई हर निशानी,
Jyoti Roshni
" परिभाषा "
Dr. Kishan tandon kranti
दरख्त
दरख्त
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
सात
सात
Varun Singh Gautam
तेवरी को विवादास्पद बनाने की मुहिम +रमेशराज
तेवरी को विवादास्पद बनाने की मुहिम +रमेशराज
कवि रमेशराज
गर्दिशों में जब तारे तुमसे सवाल करें?
गर्दिशों में जब तारे तुमसे सवाल करें?
manjula chauhan
जीवन उत्साह
जीवन उत्साह
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
भीड़ दुनिया में हद से ज़्यादा है,
भीड़ दुनिया में हद से ज़्यादा है,
Dr fauzia Naseem shad
खुशी या ग़म हो नहीं जो तुम संग।
खुशी या ग़म हो नहीं जो तुम संग।
Devkinandan Saini
क्या मालूम तुझे मेरे हिस्से में तेरा ही प्यार है,
क्या मालूम तुझे मेरे हिस्से में तेरा ही प्यार है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पुरानी किताब
पुरानी किताब
Mansi Kadam
एहसान फ़रामोश
एहसान फ़रामोश
Dr. Rajeev Jain
ग़ज़ल _ तुम फ़ासले बढ़ाकर किसको दिखा रहे हो ।
ग़ज़ल _ तुम फ़ासले बढ़ाकर किसको दिखा रहे हो ।
Neelofar Khan
इलाज हूँ
इलाज हूँ
reemadew5959
ग़ज़ल
ग़ज़ल
अवध किशोर 'अवधू'
उलझनें रूकती नहीं,
उलझनें रूकती नहीं,
Sunil Maheshwari
प्रिय तुझसे मैं प्यार करूँ ...
प्रिय तुझसे मैं प्यार करूँ ...
sushil sarna
सिर्फ़ तुम्हें सुनाना चाहता हूँ
सिर्फ़ तुम्हें सुनाना चाहता हूँ
Shreedhar
मौहब्बत को ख़ाक समझकर ओढ़ने आयी है ।
मौहब्बत को ख़ाक समझकर ओढ़ने आयी है ।
Phool gufran
बाबासाहेब 'अंबेडकर '
बाबासाहेब 'अंबेडकर '
Buddha Prakash
गुरु चरणों की धूल
गुरु चरणों की धूल
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
सच्चा मीत
सच्चा मीत
इंजी. संजय श्रीवास्तव
शिवशक्ति
शिवशक्ति
Sudhir srivastava
आज के समाज का यह दस्तूर है,
आज के समाज का यह दस्तूर है,
Ajit Kumar "Karn"
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
अपनापन
अपनापन
Santosh kumar Miri
जिंदगी
जिंदगी
Bodhisatva kastooriya
सिन्दूरी रंग की छटा जब छाती, पर्वत श्रृंगी पर फागुन है आती,
सिन्दूरी रंग की छटा जब छाती, पर्वत श्रृंगी पर फागुन है आती,
Manisha Manjari
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
Loading...