अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश

अभिव्यक्ति की आजादी पर ,
यह कैसी पाबंदी ।
किया किसी का समर्थन तो ,
एक गरीब के गले पर छुरी चला दी ।
यह कैसी कानून व्यवस्था ,
हत्यारों को अब तक न कोई सजा दी ।
अगर यूं ही चलता रहा तो ,
कैसे कोई अपनी मन की बात रखेगा ?
जब ऐसे दानवों का समाज में सिक्का चलेगा ।
शिकायत की एक गरीब ने जाने कितनी बार ,
जान से मारने की धमकियां दे रहे थे जो बार बार ।
मगर प्रशासन और पुलिस के कान में जूं न रेंगी ।
अब गया बेचारा जान से अब तो विरोध की गूंज ,
सुनाई देगी ।
अभिव्यक्त उसने किया था अपने धर्म की निष्ठा की
खातिर ।
क्या कोई अपराध किया था ? जो जान से मार गए ,
उसे अपराधी शातिर।
खुद के मजहब और अराध्य के बारे में अगर गलत ,
सुन नहीं सकते ,तो
किसी गैर के धर्म और अराध्य पर कटाक्ष करने का ,
का हक भी तुम्हें नहीं ।
नूपुर के बयान पर उसने हामी भरी दिया समर्थन ,
तो कोई गुनाह किया नहीं।
अभिव्यक्ति का अधिकार देश ने सबको दिया ,
मगर इसके दुरुपयोग का अधिकार देश ने
किसी को नही दिया ।
अभिव्यक्त वोह करो जो देश और समाज में ,
शांति और भाईचारे के हित में हो ।
अन्यथा बकवास करने का हक किसी को नही दिया ।