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29 Jun 2022 · 1 min read

समझना तुझे है अगर जिंदगी को।

ग़ज़ल
काफिया – ई स्वर
रद़ीफ- को
122……122……122……122
समझना तुझे है अगर जिंदगी को।
समझ लें तू दोनों महल झोपड़ी को।

जो है आज राजा वो कल रंक होगा,
न अभिमान कर देख तू मुफलिसी को।

अंधेरे तुम्हें रास आते हैं फिर भी,
मगर साथ रखना सदा रोशनी को।

है लगती सरल उतनी ही ये कठिन है,
समझना है मुश्किल बड़ा जिंदगी को।

हॅंसो औ’र हॅंसाओ सदा मुस्कुराओ,
कि रहने न देना, कभी बेकली को।

बना आज ‘प्रेमी’ खिलौना सा इंसा’न,
चलाता है नेता कोई हम सभी को।

……..,✍️ प्रेमी

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