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28 Jun 2022 · 1 min read

पलकें बिछाए बैठें हैं

**** पलकें बिछाए बैठें हैं ****
**************************

हम तो पलकें बिछाए बैठें हैं,
कब से सपनें सजाए बैठें हैं।

जी भर जो जो सनम करनी बातें,
अंबर बातें बनाए बैठें हैं।

आने से आपके रंगीं दिन – रातें,
सजदा नजरें झुकाए बैठें हैं।

कुदरत मेहर सदा ही बरसाए,
झोली भर कर दुआएं बैठें हैं।

मनसीरत यार पागल दीवाना,
सदका महफ़िल बुलाए बैठें हैं।
*************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 150 Views
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