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28 Jun 2022 · 1 min read

✍️वो भूल गये है...!!✍️

✍️वो भूल गये है…!!✍️
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वो जीने के तजुर्बे समेट कर लाये है
पर जिंदगी को ही पढ़ना भूल गये है

दुनिया के रास्तों की ख़ाक छाने है
अपने ही कूचे में चलना भूल गये है

कही बार मेहमान बनकर आये है
फिर भी हमें पहचानना भूल गये है

अज़ीब इत्तेफाक था उनका मिलना
लेकिन नजरें ही मिलाना भूल गये है

उसके दर्द का पहाड़ उठाये खड़े थे हम
वो बेशक़ीमती पत्थर उठाना भूल गये है

अब के मौसम के बादल बड़े खुदगर्ज़ है
मेरे खेतों में बारिश बरसाना भूल गये है

कोई दिल का मारा कोई है मौसम का…
अब दिल में मौसम भी खिलना भूल गये है
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✍️”अशांत”शेखर✍️
28/06/2022

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