*सॅंभलिए साहिब (गीतिका)*
सॅंभलिए साहिब (गीतिका)
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1
सीधे-सादे चलिए साहिब
ज्यादा नहीं उछलिए साहिब
2
कुर्सी चार दिनों ही होती
फिर सब के सब ढलिए साहिब
3
सिल्ली बड़ी बर्फ की जैसे
इक दिन आप पिघलिए साहिब
4
चालाकी में क्या रक्खा है
भोलों को मत छलिए साहिब
5
थोड़ा-सा ही वक्त बचा है
अब तो जरा सॅंभालिए साहिब
6
फँसे रहे जो दुनिया ही में
कल हाथों को मलिए साहिब
7
कोहिनूर क्या उसके आगे
उसके लिए मचलिए साहिब
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451