Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jun 2022 · 1 min read

भारत बनाम (VS) पाकिस्तान

धरा पर वास करने वाले
जरा जरा पास आकर सच के साथ देखें।
बरसों से तुमने खोया ही हैं।
पाया हैं क्या माँ को बांटकर ।
क्षेत्र बाँटते परिक्षेत्र बाँटते , जिससे विकास होता।
दिल से दिमाग तक बांट डाले ईमान।
पाया हैं क्या माँ को बाँट कर।
बांटकर क्या कभी सुखी होता है कोई ।
बता नादान हो ना तुम ॥
मेरे स्वदेश है, मेरे स्वदेश अच्छे हैं।
अच्छी भली चंगी नारा है।
जो जान से भी प्यारा है।
लेकिन क्या मां (एहसास जुड़ने )से भी प्यारा है।
किसी घर के लिए मां का बंटवारा अच्छी दंश नहीं है।
बताओ प्यारें
क्या तुम्हें चैन मिलती है vs क्या तुम बेचैन नहीं हो।
किसने ना तुम्हें ठगा होगा ।और तुम किससे ना ठगाते हो।
तब जाकर नारा लगाते हों।
बस धरती झेल रही है,
विध्वंसक मार ,वार झेल रही है।
खाड़ी युद्धों की मार ,वार मानवता ही नहीं धरा भी झेल रही हैैं।
कायरों, काफिरों की हैं ये युद्ध करने वाले संताने।

धरा पर वास करने वाले……………….
_ डॉ. सीमा कुमारी ,बिहार ,भागलपुर, दिनांक25-6-022की मौलिक एवं स्वरचित रचना जिसे आज प्रकाशित कर रही हूं।

Language: Hindi
4 Likes · 509 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

अंतिम स्वीकार ....
अंतिम स्वीकार ....
sushil sarna
जिंदगी तुमसे जीना सीखा
जिंदगी तुमसे जीना सीखा
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
दम उलझता है
दम उलझता है
Dr fauzia Naseem shad
बेख़बर
बेख़बर
Shyam Sundar Subramanian
*अभिनंदन उनका करें, जो हैं पलटूमार (हास्य कुंडलिया)*
*अभिनंदन उनका करें, जो हैं पलटूमार (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
यदि जीवन में आप अपने आपको खुश रखना चाहते है तो किसी के भी ऊप
यदि जीवन में आप अपने आपको खुश रखना चाहते है तो किसी के भी ऊप
Rj Anand Prajapati
रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
दीपक बवेजा सरल
“जागू मिथिलावासी जागू”
“जागू मिथिलावासी जागू”
DrLakshman Jha Parimal
काश कोई होता
काश कोई होता
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
कम्प्यूटर
कम्प्यूटर
अरशद रसूल बदायूंनी
"" *माँ के चरणों में स्वर्ग* ""
सुनीलानंद महंत
मैं उस पल में ख़ुद को छोड़ आई हूँ
मैं उस पल में ख़ुद को छोड़ आई हूँ
Madhu Gupta "अपराजिता"
वो हर खेल को शतरंज की तरह खेलते हैं,
वो हर खेल को शतरंज की तरह खेलते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कर्मयोगी संत शिरोमणि गाडगे
कर्मयोगी संत शिरोमणि गाडगे
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
दुख तब नहीं लगता
दुख तब नहीं लगता
Harminder Kaur
रामराज्य
रामराज्य
Suraj Mehra
उनसे कहो, इनसे कहो क्या फायदा
उनसे कहो, इनसे कहो क्या फायदा
Suryakant Dwivedi
*पलटूराम*
*पलटूराम*
Dushyant Kumar
साहिल पर खड़े खड़े हमने शाम कर दी।
साहिल पर खड़े खड़े हमने शाम कर दी।
Sahil Ahmad
गुमनाम
गुमनाम
Rambali Mishra
World Blood Donar's Day
World Blood Donar's Day
Tushar Jagawat
sp73हम कठपुतली रंगमंच की
sp73हम कठपुतली रंगमंच की
Manoj Shrivastava
ग़ज़ल _ मैं ग़ज़ल आपकी, क़ाफिया आप हैं ।
ग़ज़ल _ मैं ग़ज़ल आपकी, क़ाफिया आप हैं ।
Neelofar Khan
हठधर्मिता से रखिए दूरी
हठधर्मिता से रखिए दूरी
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
कसक
कसक
Dipak Kumar "Girja"
अब अपना पराया तेरा मेरा नहीं देखता
अब अपना पराया तेरा मेरा नहीं देखता
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
परेशान सब है,
परेशान सब है,
Kajal Singh
🙅विषम-विधान🙅
🙅विषम-विधान🙅
*प्रणय प्रभात*
"अकेडमी वाला इश्क़"
Lohit Tamta
ଭୋକର ଭୂଗୋଳ
ଭୋକର ଭୂଗୋଳ
Bidyadhar Mantry
Loading...