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24 Jun 2022 · 1 min read

ग़ज़ल

. ग़ज़ल
…………..

बात सुनो ये सीधी सादी ,
लोग हुए अब अवसरवादी .

तजना मत तुम दीवानापन ,
रहे भले बेगानी शादी .

आफ़त में तुम अवसर खोजो ,
आज गली में हुई मुनादी .

कान पके हैं सच को सुनकर ,
हुए झूठ के हम सब आदी .

मुद्दे नए उगाना सीखो ,
भूलो प्रसंग सब बुनियादी .

कैसे कैसे दिन दिखलाए ,
पूछे रब से इक फरियादी .

धर्म बहुत ही नाजुक मसला ,
पल में बनते जन उन्मादी .
………………………………..
राजपाल सिंह गुलिया
जाहिदपुर , झज्जर ( हरियाणा )

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