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22 Jun 2022 · 1 min read

#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल आम भारत का निवासी, क्या करे सोचो जरा ।

#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल

आम भारत का निवासी, क्या करे सोचो जरा ।
आग नफ़रत की लगा कर, तीर तुमने क्यों चला ।

कुछ अहंकारी जहां में, कर गए जो उस तरह,
ख़ुद अमर हो दूसरों के, क्यों जहर दिल में भरा ।

बैठ कर देखो तमाशा, देश में पत्थर फिकें,
अब तुम्हारे हाथ में भी, रोकने क्या कुछ बचा ।

धर्म का तुम नाम लेकर, पा गए सत्ता मगर,
ढोंग और पाखंड का, वो मुखोटा अब गिरा ।

हाथ में तलवार झण्डे, पत्थरों को जो लिए,
वो नहीं परिजन तुम्हारे, स्वांग क्या तुमने रचा ।

अब पुलिस सेना प्रशासन, झोंकते ताकत बड़ी,
देश है मुश्किल घड़ी में, फ़र्क क्या तुमको पड़ा ।

बात ये ‘अवधेश’की तुम, गौर से गर सुन सको,
देश गर्वित ध्वज रहेगा, विश्व में ऊँचा सदा ।

© अवधेश कुमार सक्सेना –
शिवपुरी, मध्य प्रदेश

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