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19 Jun 2022 · 1 min read

करवट

हाल ही मे बदली है
करवट अचानक से जिन्दगी ने
बरसों से सोई जाग उठी हैं
आधी अधूरी कुछ ख्वाहिशें मेरी ।

उम्मीद नही थी जिसकी कभी
जुड़ने लगी हैं सारी
बरसों से रूठी जिन्दगी की
आधी अधूरी कड़ियां मेरी ।

लम्बे अन्तराल के बाद
नजदीक आने लगी हैं
बरसों से रेंगती इन्तजार की
आधी अधूरी घड़िया मेरी ।

खुशियों की मधुर आहट से
महकने लगी है धीरे-धीरे
बरसों से सूखी मुरझाई
आधी अधूरी बगिया मेरी ।।

राज विग 19.06.2022

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