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17 Jun 2022 · 2 min read

होली का संदेश

होली आई बोली हमसे
क्यों हो तुम उदास
तुम अकेले क्यों बैठे हों
करों न हमसे बात ।

अपने मन में तुम न रखों
किसी तरह का कोई खट्टास
मैं होली लेकर आई हूँ
तेरे लिए रंग – बिरंगी गुलाल।

साथ में मैं लेकर आई हूँ
ढेर सारा हैं मिठाई
इसको खाकर तुम कर लो
अपने मन को मिठास।

इस मिठास से तुम अपने
मन को मिठास से भर लो
और रंग – बिरंगी गुलाल से
अपने मन को तुम रंग लो।

मैं होली सिखलाई थी
आपस में मिल – जुलकर रहना
अपने मन का बैर मिटाकर
सबके साथ हँसना – गाना ।

मैंने तो तुमको दिया था
रंग – बिरंगी दुनिया
तुमने इस दुनिया में
नफरत का अँधियारा फैलाया ।

इस काले रंग को तुमने
क्या खूब हैं निखारा
और अपने जीवन में भी
तुमने इसको खूब उतारा।

तुमने अपने जीवन में
खड़ी की नफरत की दीवार ।
और भेद – भाव को मन में भरकर
अपने जीवन को किया उदास।

मैं होली इस बार फिर
नफरत की दीवार तोड़ने आई
और साथ में तुम लोगों के लिए
एक संदेश भी लेकर आई।

एक बार तुम फिर अपने
मन का बैर मिटाकर देखो
एक बार तुम फिर अपनी
मन की ईर्ष्या को जलाकर देखो।

एक बार तुम अपने मन में
फिर से प्यार उगा कर देखो
एक बार तुम रिश्तों पर फिर,
विश्वास जगाकर देखो।

देखो कैसे तुम्हारी दुनिया
फिर से रंग – बिरंगी होती हैं
कैसे रिश्तों में मिठास
फिर से घुल जाता है।

होली बोली एक बार
मुझको अपना कर तुम देखो
कैसे तुम्हारा जीवन फिर
खुशियो से भर जाता हैं।

-अनामिका

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