"रवि ताप बढ़ा ऐसा "माहिया छंद
सुप्रभात मित्रो!
मंच को नमन!
संप्रेषित हैं कुछ माहिया छंद सूर्य नारायण के बढ़ते हुए ताप के संदर्भ में 🙏💐🙏
रवि ताप बढ़ा ऐसा।
जीवन त्रस्त हुआ,
सब कुछ झुलसा बैठा।।(१)
खगवृंद हुए व्याकुल।
पानी को खोज रहे
हर खग के मां बाबुल।।(२)
यह दुनिया त्रस्त हुई।
तपती गर्मी से
अब बिल्कुल पस्त हुई।।(३)
रूठा रूठा है रब।
सबको झुलसायें,
ये गर्म हवाएं अब।(४)
कब बदरी आयेगी।
झुलसाती गर्मी
कब वापिस जायेगी।।(५)
इक आस जगानी है।
गर्मी जाने पर
फिर वर्षा आनी है।।(६)
🙏💐🙏
अटल मुरादाबादी