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14 Jun 2022 · 1 min read

चलना ही पड़ेगा

ये ज़िन्दगी सफर है तो चलना ही पड़ेगा
ग़र है वफाई आग तो जलना ही पड़ेगा

कितने रुके थके नज़रअंदाज उसे कर
आगे सफर में हमको निकलना ही पड़ेगा

वाकिफ़ भी होके मौत से होना न ग़मज़दा
मिलना है ज़िन्दगी तो विछड़ना ही पड़ेगा

होती नही हैं गलतियाँ मजबूरियाँ सभी
जो मुँह में गया उसको निगलना पड़ेगा

निकलें हैं ‘महज़’ राह में मंजिल के वास्ते
साँचें में वक्त के हमें ढ़लना ही पड़ेगा

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